महासंघ की जिला शाखा छतरपुर के तत्वाधान माझी
विकास अभियान के अन्तर्गत छतरपुर के नेहरा ग्राम में विशाल सम्मेलन का आयोजन
जिला शाखा अध्यक्ष श्री संतराम केवट के निर्देशन में आयोजित कराया गया| कार्यक्रम के
पर्यवेक्षक महासंघ के प्रदेश कार्यकारणी के सदस्य श्री जगमोहन केवट रहे कार्यक्रम
की अध्यक्षता पन्ना जिले के श्री यशवीर सिंह उर्फ बाबादीन केवट ने एवं मुख्य
अतिथि के रूप में महासंघ के संस्थापक एवं प्रबंध संचालक श्री आर0 एस0 केवट,
प्रदेशाध्यक्ष श्री सुनील कश्यप, उपप्रदेशाध्यक्ष श्री आर0 एस0 माझी, महासचिव
श्री जी0 पी माझी, शिक्षा प्रभारी श्री आर0 बी0 सिंह माझी तथा विशिष्ट अतिथियों
में श्री लक्ष्मी प्रसाद केवट बीरा पन्ना
सतना जिला शाखा के अध्यक्ष श्री राजकरण केवट, पन्ना जिला शाखा के अध्यक्ष
श्री कमलेश कुमार केवट उपस्थित रहे|A
कार्यक्रम का आगाज महाराज गुहराज निषाद की
प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलन एवं पूजा अर्चना के साथ हुआ स्थानीय समाज के बच्चों
ने स्वागत गीत गाया मुख्य अतिथियों का स्वागत माल्यार्पण कर किया गया तत्पश्चात
जिलाध्यक्ष श्री संतराम जी ने प्रतिवेदन वाचन कर जिला समिति की समस्त गत कायों
का लेखा जोखा पेश किया |
महासंघ के संस्थापक श्री आर0 एस0 केवट ने महासंघ
के उददेश्यों पर प्रकाश डालते हुये बताया कि देश के स्वतंत्र होने के साथ
संविधान निर्माण में एक महत्व पूर्ण अनुच्छेद 342 का खण्ड 1 जोड गया| जिसके अनुसार राट्रपति सार्वजनिक सूचना व्दवारा
जनजातियों, जनजाति समुदायों या जनजाति समुदाय के भीतरी समूहों की घोषणा करेंगें इस
सूचना में जो जनजातीयां, जनजातीय समुदाय या जनजातीयों के भीतरी समूह परिगणित किये
जायेंगे वे सब अनुसूचित जनजाति कहलायेंगे इससे स्पष्ट होता है कि समय समय पर
जनजातियों समूहों को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में लाया जा सकता है| इसी के तहत भारत
में पिछले कई दशकों में जनजातियों की अधिकाधिक संख्या को अनुसूचित जनजाति वर्ग
में सामिल किया गया|
यही
कारण है किे अनुसूचित जनजातीयों की संख्या बढती ही रही है| भारतीय संविधान 1950
में अनुसूचित जनजाति की संख्या 212 थी जो अब बढकर यह संख्या 550 के आसपास है
1951 से 1981 तक उक्त 212 जनजातियों के आंतरिक समूहों के साथ साथ अन्य जातियों
को जनजाति का दर्जा मिला लेकिन माझी ही एक ऐसी जनजाति दुर्भाग्यशाली रही जिसके
तरफ सरकार एवं सरकार के नुमाईंदों की नजर कभी नई गई| न इस जनजाति समूह के बारे में व्यापक अध्ययन कराया
गया यही कारण है कि माझी के मूल आंतरिक समूह मल्लाह केवट नाविक 1950 से आज तक
अपने अधिकारों से बंचित हैं| जनजातियों पर शोध करने वालों ने माझी को मल्लाह केवट
एवं नाविक के ही रूप में अपने शोध कायों में विवेचना की है लेकिन हमारी अनेकता एवं
अदूरदर्शिता व अशिक्षा ने माझी जनजातीय अधिकार से अलग कर रखा है| कार्यक्रम को श्री
जी0 माझी इलाहाबाद, श्री सुनील कश्यप प्रदेशाध्क्ष, श्री आर0 एस0 माझी रीवा, श्री
आर0 बी0 सिंह पन्ना, श्री कमलेश केवट पन्ना ने संबोधित किया कार्यक्रम का संचालन श्री संतराम केवट ने किया|