मध्य प्रदेश माझी समाज महासंघ ने जिला प्रशासन को ज्ञापन देकर माझी के पर्याय मल्लाह केवट नाविक निषाद को जनजाति का दर्जा दिलाये जाने की मांग की है। ज्ञापन के माध्यम से सरकार को अवगत कराया गया है की मल्लाह केवट नाविक ही, माझी क्यों?
माझी के सन्दर्भ में बताया गया की --
१. अन्थ्रोपोलोजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया द शैडूल्ड ट्राब्स के अनुसार मल्लाह केवट नाविक को मध्य प्रदेश के शहडोल रीवा सतना पन्ना छतरपुर और टीकमगढ़ जिलो में माझी जाति की पर्याय जाति बताया गया है।
२. संविधान आदेश 1950 के अंतर्गत भाग ६ की जिलेवार अनु .जन. जाति सूची के क्रमांक ४ में दतिया, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, सतना और रीवा जिलो में माझी को अनु. जन. जाति में रखा गया है। लेकिन इसकी पर्याय मल्लाह केवट नाविक निषाद का इस जाती के साथ उल्लेख नहीं है।
३. माझी जनजाति निश्चित रूप से मल्लाह, केवट, नाविक, निषाद के लिए ही प्रयोग किया गया है।
४. मल्लाह, केवट, नाविक ही माझी जन जाति के पर्याय हैं। इसका पता शब्द कोष के द्वारा भी देखा जा सकता है।
हिंदी शब्द कोष - भार्गव
माझी- नाव खेनेवाला मल्लाह (पेज ६२३ )
मल्लाह - केवट , माझी ( पेज ६१६ )
नाविक - मल्लाह , माझी (पेज ४२१)
आक्सफोर्ड शब्द कोष -
मझियाना - नाव खेना (पेज ९८५)
माझी - मल्लाह, केवट (पेज १०११)
मल्लाह - माझी , केवट (पेज १०००)
५. सन 1927 के एक राजकीय अधिकार पत्र में सतना जिले के रघुराजनगर तहसील में मल्लाहों के समुदाय को नदी तालाबो में नाव चलाने का कार्य दिया गया था। इसी पत्र में मल्लाहों को माझी की संज्ञा भी प्रदान की गई है जिसमे मल्लाह को माझी मल्लाह कहा गया लिखा हुआ है।
६. मध्यप्रदेश राज्यपत्र भोपाल ४ फ़रवरी १९८३ के अनुसार पिछड़ा वर्ग की सूची जो २ अक्टूबर १९८२ से राज्य छात्र वृत्ति हेतु जारी हुई थी उसमे मल्लाह केवट नाविक का उल्लेख नहीं है। सायद इन्हें माझी की पर्याय जाति मानते हुए छोड़ा गया हो।
७. जिस प्रकार ओ बी सी की वर्तमान सूची के क्रमांक १२ में कीर जाति को भोपाल, रायसेन, सीहोर जिलों में एस टी होने की मान्यता सरकार दे रखी है, ठीक इसी तरह इस सूची के मल्लाह केवट नाविक निषाद को शहडोल, रीवा, सतना, पन्ना, छतरपुर व टीकमगढ़ जिलों में एस टी की मान्यता मिलनी चाहिए।
८. मध्यप्रदेश सरकार ने आदेश क्रमांक २१-६/२५-६/९२ दिनांक २६. १२. ८४ को जारी कर ओ बी सी की सूची के क्रमांक १२ में दर्ज मांझी को हटा दिया। लेकिन इसे कहाँ किश सूची में जोड़ा गया इसका उल्लेख कहीं नहीं मिलता। अर्थात सरकार के अनुसार यह कोई जाति ही नहीं थी जिसे उसके उचित स्थान पर दर्ज किया जाता। इससे एक बात यह भी साबित होती है कि माझी कौन सी जाति है? सरकार तय नहीं कर पा रही।
९. माझी जाति के कार्यों पर आधारित निम्नलिखित लोकप्रिय गीतों से माझी कौन है का प्रमाण मिलता है।
१. नदिया चले चले रे धारा ------------------------------- .
२.ओ माझी चल -------------------------------------------
३. ओ मेरे माझी -----------------------------------------
४. माझी चल ओ माझी चल ---------------------------
५. माझी रे हिम्मत न हार -----------------------------
१०. उपरोक्त सभी प्रमाणों से यही निष्कर्ष निकलता है की मल्लाह केवट नाविक समूह ही माझी जनजाति है जिसे इन्हे शहडोल, रीवा, सतना, पन्ना, छतरपुर व टीकमगढ़ जिलों में एस टी की मान्यता सरकार को देनी चाहिए।
आर0 एस0 केवट (एम डी)
माझी समाज महासंघ
Dear R.S.Kewat Ji
ReplyDeleteApke dwara samaj kalyan ke liye kiye gaye gaye karyo ki jhhalak internet blog ke madhyam se dekhne mila. Achha laga apka prayas sarahniya hai. Yadi aap sakirn vichardhara se grasit Samaj me sampurn Nishadvanshiya Ekta ke liye boudhik jagrati paida karne ki pahal kare to aapka parishram Jarur Rang layega. Samay ki mang hai sampoorn Pancham Varn Nishad ke tahat (Mallah, Kewat, Manjhi, Majhhvar, Dhivar, Raikwar, Bhoi, Kahar etc.) sabhi ko ek sootra me pirona hoga tabhi ham samvidhanik
& Rajnaitik Sanghars me saphal hote samajik vikas ki oar agrasar ho sakenge. Iskeliye ham bhi aapke sath hai.
Dhanyavad
Rajendra Singh Kewat
Mahasachiv,
Rashtriya Nishad Sangh (JBP Unit)
Mob. 9755013821