15 September 2013

माझी जनजाति की उपजातियो की जनजातीय मान्यता की लड़ाई

मध्यप्रदेश में माझी जनजाति के उप जातियों के लिए जनजातीय मान्यता हेतु किये जा रहे प्रयास विफल हो रहे हैं। प्रयास कर्ताओं को सबसे पहले यह सोचना चाहिए की जिन प्रमाणों के तहत मांग की जा रही है उनमे कितनी सत्यता हैं। बन्धुओ लडाई में यदि किसी को परास्त करना हो तो उसे उचित दांव  से ही चित्त किया जा सकता है। स्वार्थ एवं लालच वस अनेक लोगो ने जरा सा सुराख़ पाकर माझी जनजाति बनाने का दावा ठोक  रहे हैं। माझी कौन है ? सरकार माझी किसे मानती है ? माझी जनजाति का श्रीगणेश कहाँ से हुआ ? माझी जनजाति का श्रीगणेश जहाँ से हुआ क्या वहां  कोई माझी सरनेम का उपयोग करता था ? जहां से माझी का श्रीगणेश हुआ, क्या उस क्षेत्र में माझी के प्रमाण पत्र शासन द्वारा जारी किये गए ? यदि उस क्षेत्र में प्रमाण पत्र शासन से जारी नहीं हुए तो माझी जनजाति किसके लिए घोषित की गयी? माझी जनजाति के प्रदर्शन कर्ता इस बात पर ज़रा भी गौर नही कर रहे हैं की माझी शब्द मूल रूप से किसके लिय उपयोग किया गया है। जहा तक सरकार या न्यायालय की बात है वहा पर तुकबंदी या अगर मगर से काम नहीं चलने वाला है। माझी जनजाति की कथित उप जातियों से मेरा अनुरोध है की इस जनजाति की उप जातियों की लड़ाई इसके प्रारंभ क्षेत्र से  लड़ी जाए। पूरे प्रदेश के इस जनजाति के दावेदार अपनी पूरी ताकत माझी  जनजाति के प्रारंभ क्षेत्र में लगायें । यदि  येसा नहीं किया गया तो सभी लोग यह समझ ले की माझी जनजाति की उपजातियों को जनजातीय  मान्यता मिलना असम्भव है। अंत में सभी को कहीं  येसा न कहना  पड़े कि  अंगूर खट्टे है।   


No comments:

Post a Comment

15 नवंबर 2024 - विंध्‍य क्षेत्र माझी समाज महासंघ का शपथग्रहण समारोह सतना में संंपन्‍न

 15 नवंबर 2024 - विंध्‍य क्षेत्र माझी समाज महासंघ का शपथग्रहण समारोह सतना में संंपन्‍न हुआ। विंध्‍य क्षेत्र में माझी जनजाति के केवट, मल्‍लाह...